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नैनीताल। लाइव उत्तरांचल न्यूज
अटल बिहारी वाजपेयी का 25 दिसंबर शुक्रवार को जयंती है। सरोवर नगरी की शांत वादियां उनको हमेशा आकर्षित करती रहीं थी यही कारण था कि 2002 की फरवरी को गुजरात में हुए गोधरा कांड के बाद तत्कालीन पीएम वाजपेयी मन मस्तिष्क में बैचेनी रही थी उऩ्होंने होली नहीं मनाने के फैसला लिया था। यही नहीं मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए उन्होंने नैनीताल को चुना।
वाजपेयी 2002 के 27 से 30 मार्च तक नैनीताल राजभवन में ठहरे थे। वाजपेयी का तत्कालीन प्रवास बदत्तर हालत की ओर अग्रसर नैनीझील से साथ ही जिले के अन्य झीलों के लिए बरदान शाबित हुआ। पर्यावरण के लिए संवेदनशील व प्रकृति को प्यार करने वाले कवि हृदय वाजपेयी ने झीलों के संरक्षण के लिए 190 करोड़ रूपये की घोषणा की। इसमें 100 करोड़ अकेले नैनीझील के लिए दिए गए। इसके चलते नैनीझील में हमेशा जाड़ों में मरने वाली मछलियों का सिलसिला थम गया है वहीं झील के निचले स्तर तक आक्सीजन पहुंच गई है। पीएम की घोषणा की बाद नैनीताल झील विकास प्राधिकरण के तहत झील संरक्षण इकाई का गठन किया गया। परियोजना के जुड़े अधिकारियों के अनुसार 98 करोड़ रूपये की डीपीआर केंद्र को भेजी गई। इसमें केंद्र से 64.82 करोड़ रूपये आवंटित हुए और राज्य सरकार ने अपना हिस्सा दिया। इसमें 47 .96 करोड़ रूपये नैनीझील के लिए खर्च किया गया। शेष 33.85 करोड़ अन्य झीलों में खर्च हुआ है।
कोश्यारी की अगुवाई में मिले थे भाजपा नेताः– महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उस दौर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। उनकी अगुवाई में पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने अटल जी से राजभवन में मुलाकात की थी। इनमें गोपाल रावत, भुवन हर्बोला, संघ से जुड़े कामेश्वर प्रसाद काला, भाजपा के तत्कालीन नगर अध्यक्ष पूरन मेहरा, सचिव जगदीश बवाड़ी, दर्जा राज्यमंत्री रहीं शांति मेहरा, दया बिष्ट, कमला अधिकारी, अधिवक्ता स्व. गोविंद सिंह बिष्ट, कुमाऊं विवि के तब के कुलपति प्रो. वीएस राजपूत आदि शामिल थे।
स्व. एनडी तिवारी की सराहनाः उत्तराखंड राज्य के गठन में अटल बिहारी वाजपेयी की अहम भूमिका रही थी लेकिन भाजपा को पहले आम चुनाव मेें सफलता नहीं मिली। उनके नैनीताल प्रवास के दौरान प्रदेश में एनडी तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थीं। तिवारी उनसे मिलने नैनीताल पहुचे थे। कहा जाता है कि झीलों के लिए बढ़ी घोषणा करने पर उन्हें प्रदेश में कांग्रेस यानि विपक्ष की सरकार होने की याद दिलाई गई लेकिन वाजपेयी का जवाब था कि “देखिये तिवारी जी दलगत राजनीति से उपर हैं”। भाजपा नेता गोपाल रावत बताते हैं वाजपेयी ने मां नयना देवी का आर्शीवाद भी लिया और झील को निकट से भी देखा। तब उनके साथ सुरक्षा को कोई खास तामझाम नहीं रहा था।
खुले माहौल में हुई प्रेस वार्ता : वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी की राजभवन में हुई प्रेस कांफ्रेंस मेंं काफी आत्मीय वातावरण रहा। उन्होंने चिरपरिचित सधे हुए अंदाज में अपने जवाब दिए, स्थानीय मुद्दों पर भी हल्की चर्चा हुई। पीएम होने की जैसी कोई खास औपचारिता नहीं दिखाई दी थी।