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टिहरी। लाइव उत्तरांचल न्यूज
भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस प्रतिवर्ष 2 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका आयोजन मुख्य रूप से मप्र की राजधानी में हुई भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा है। उस त्रासदी में जान गवाने वाले लोगों की याद में, भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति ना हो, औद्योगिक आपदा की प्रबंधन व नियंत्रण के लिए जागरूकता फैलाना, तथा प्रदूषण रोकने के प्रयास करना के रूप में इस दिवस को मनाया जाता है।
विश्व की सबसे बड़ी त्रासदीयो में से एक भोपाल गैस त्रासदी वर्ष 1984 में 2 व 3 दिसंबर की रात में घटी थी। यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीले रसायन के रिसाव से यह घटना घटी, जिसमें लगभग 15 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी, हजारों लोग गंभीर तथा स्थाई रूप से चोटिल हुए थे।
इस घटना से सबक लेकर भारत सरकार ने प्रदूषण के नियंत्रण और रोकथाम के लिए समय-समय पर अनेकों अधिनियम बनाएं, जिसमें 1986 का पर्यावरण संरक्षण नियम, 1989 का खतरनाक रसायनिक निर्माण, भंडारण और आयात का नियम, 1989 का खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन और नियंत्रण)नियम, 1996 का रासायनिक दुर्घटनाओं (इमरजेंसी, योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया) नियम, 1998 का बायो मेडिकल वेस्ट (प्रबंधन व नियंत्रण) नियम, 1999 का न्यूनीकरण प्लास्टिक निर्माण व उपयोग नियम, 2000 का ओजोन संरक्षण नियम, 2000 का ध्वनि प्रदूषण (विनियम व नियंत्रण) नियम, 2000 का नगर पालिका का ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन व संचालन) नियम, 2006 का पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना अधिनियम, 2010 का राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम तथा 2011 का ई_ अपशिष्ट (प्रबंधन व नियंत्रण) अधिनियम प्रमुख हैं।
प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाए। अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाना तथा उनकी सुरक्षा करना, प्राकृतिक संसाधनों का सीमित दोहन, प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध, कूड़े कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निवारण, वर्षा जल का संरक्षण, पेट्रोल डीजल बिजली का कम से कम उपयोग, कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों का कम से कम उपयोग, पेड़ पौधे व जंगलों की कटाई पर अंकुश, दावा अग्नि पर रोक आदि द्वारा हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।
सरकार को समय-समय पर जन जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों, कॉलेजों, मोहल्ला, गांव, कस्बों तथा शहरों में कार्यक्रम करना चाहिए। कानून बनाकर लोगों को प्रदूषण फैलाने से रोकना चाहिए, कानूनों का उल्लंघन करने पर कड़े दंड का प्रावधान भी करना चाहिए।
(नोटः डा. भरत गिरी गोसाई राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा (धारमंडल) टिहरी में वनस्पति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)